Wednesday, July 6, 2011

दीदार - ए - पाक

लोग कहते है की शर्म, खूबसूरती, हया और हवस सब देखने वाले की नज़रों में ही होती है | कभी - कभी किसी के दीदार भर से ही बिगड़ी तबीयत सुधर जाती है | कभी किसी को देख के लगता है मानो दुनिया के सभी गम - ओ - रंजिश नाजायज़ है | ऐसे ही एक एहसास के नाम ये गज़ल:

दीदार से तेरे यूँ धुल के साफ़ हो गए
सौ जुर्म जो किये थे सभी माफ हो गए,

अच्छे - बुरे का फर्क न मालूम था मगर
तुमने जो लफ्ज़ कह दिए इन्साफ हो गए,

लाखो परिंदों का शिकार कर चुके थे पर
बुलबुल मिली कुछ ऐसी के सैय्याद हो गए,

कहते है लोग आपने फना किया मुझे
हमको तो लग रहा है हम आबाद हो गए,

हमने जो किया क़त्ल तो सूली मिली 'शफक'
पर आपने किये तो वो अंदाज़ हो गए |

शफक

No comments: