Wednesday, August 6, 2008

जुर्रत
हम हिम्मत हार जाएँ तो सच में हार होगी। इंसान को तब तक हार नही माननी चाहिए जब तक उसकी रगो में खून का एक क़तरा भी बाकी हो। इस ही ख्याल को ज़हन में रख कर मैंने यह लिखा:
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जुर्रत की है तो जिगर भी रख
मेहनत की है तो सब्र भी रख
सजदों का सिला मिल जाएगा
तू अपने खुदा की कदर तो रख
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तू नाकामी का खौफ न रख
वो सबक तुझे सिखलाएगी
तेरी राह अगर आसान हुई
मंजिल की कद्र ना आएगी
मुश्किल आसां हो जायेगी
काँटों फूलों पर नज़र तू रख
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तेरी राह में धोखे आयेंगे
हर कदम कदम पर आयेंगे
धोखों से बचना है तुझको
मंजिल से परे ले जायेंगे
धोखे भी खाख हो जायेंगे
अपनी मंजिल की तरस तू रख
शफक

1 comment:

bhawna said...

vry nice shafaq ji...gud!!!